हरामी
प्रस्तावना – “बिना नाम का जन्म”
उस रात बारिश सुइयों की तरह बरस रही थी — एक पागलपन भरा मानसून, जिसने नंदीपुर गाँव को अपने अंधेरे में निगल लिया था।
आँधियाँ बांस के झुरमुटों से होकर चीखती गुजर रही थी, टिन की छतें काँप रही थी, और ज़मीन पर चलते इंसानों के निशान मिट चुके थे।
उसी हाहाकार के बीच, नदी के किनारे आधे टूटे बरगद के पेड़ के नीचे, एक चीख ने रात की खामोशी को चीर दिया — नन्ही, कमजोर, लेकिन इंसानी।
वो एक नवजात शिशु की रोने की आवाज़ थी।
किसी को नहीं पता था कि वह औरत कहाँ से आई थी।
किसी ने कहा, “शायद अगले ज़िले की कोई भिखारिन थी।”
किसी ने फुसफुसाया, “कोई रंडी होगी, जो हाईवे से भटककर यहाँ तक आ गई।”
बाकी सब चुप रहे — क्योंकि नंदीपुर जैसे गाँव में जिज्ञासा से ज़्यादा खामोशी सुरक्षित होती है।
अगली सुबह जब बूढ़ी सफाईवाली कावेरी उधर से गुज़री, तो उसने उस औरत को मरा हुआ पाया — उसका शरीर ठंडा, भीगा हुआ, और कीचड़ से ढका हुआ था।
लेकिन बच्चा ज़िंदा था — बस साँसों की डोर पर टिका, उसकी फटी साड़ी में लिपटा हुआ।
कावेरी ने उसे उठाया, उसका चेहरा देखा और बुदबुदाई —
“अभागा... पाप लेकर आया है, जबकि अभी पाप का मतलब भी नहीं जानता।”
वो उसे लेकर चौपाल पहुँची। लोग जुट गए —
कंधों पर गमछा डाले मर्द, औरतें अपने पल्लू में चेहरे छुपाए फुसफुसाती हुईं।
किसी ने ऊँची आवाज़ में पूछा, “किसका बच्चा है ये?”
दूसरे ने थूक कर कहा, “रंडी का बेटा! नदी में फेंक दो, इससे पहले कि हम सबको अपशकुन दे।”
लेकिन कावेरी अडिग खड़ी रही।
वो विधवा थी, दूसरों के घरों की झाड़ू-पोंछा करके जीती थी,
पर उसकी रीढ़ की हड्डी गाँव के किसी मर्द के अहंकार से कहीं ज़्यादा सीधी थी।
उसने शांत लेकिन दृढ़ स्वर में कहा —
“अगर नदी इसे ले गई... तो सबसे पहले हमारी इंसानियत बह जाएगी।”
उस दिन मुखिया ने अनिच्छा से उसे बच्चे को पालने की इजाज़त दे दी।
कावेरी ने उसे अपने झोपड़े में पाला — श्मशान घाट के किनारे, राख और आवारा कुत्तों के बीच।
उसे बकरियों से माँगा हुआ दूध पिलाया, और लोगों से माँगी हुई दया पर जिंदा रखा।
गाँव वाले उसे कई नामों से पुकारते थे —
“नाजायज़”, “भूत का बेटा”, “हरामी।”
पर कावेरी ने उसे एक ही नाम दिया — राजू।
राजू को कभी नहीं पता चला कि उसके माता-पिता कौन थे,
या वो कहाँ से आया था।
पर “हरामी” का ठप्पा उसकी परछाई बन गया —
कभी कानों में फुसफुसाता, कभी सरेआम चिल्लाता।
जब भी वो कावेरी से पूछता, “लोग मुझसे नफरत क्यों करते हैं अम्मा?”
वो मुस्कुराती और कहती —
“क्योंकि तू उस साँचे में नहीं ढलता बेटा, जिसमें ये दुनिया ढलना चाहती है।
तू किसी घर में नहीं, एक तूफान में पैदा हुआ था।”
और शायद वही वाक्य उसकी ज़िंदगी की सच्चाई बन गया।
सूची:
प्रस्तावना – नाम के बिना जन्मा
अध्याय 1 – नंदीपुर की धूल
अध्याय 2 – कीचड़ में एक किरण
अध्याय 3 – खेतों की परछाइयाँ
अध्याय 4 – जब सपने खून बहाएँ
अध्याय 5 – पेट में आग
अध्याय 6 – हरामी की वापसी
अध्याय 7 – खून, विश्वासघात और नदी
उपसंहार – वह लड़का जो मरना नहीं जानता था
Title: हरामी ( A Bastard )
Subtitle: एक गुमनाम पहचान
Genre: Fiction Emotional Drama
Language: Hindi
Format: Mp3
Duration: 44 Min
Audiobook Written, Narrated and Published by: Sweet Audible (2025)
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